देश में क्रांति ऐसी हो
जब आँख बंद हो तो, सहारा भीम का हो !
एक पीढ़ी मिट जाये तो, कोई गम नहीं,
लेकिन मरते वक्त भी हर जुबॉ पर नारा भीम का हो
।। जय भीम।। नमो बुध्दायो
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हम मौत को भी ठोकर मार के भगा देंगे,
मुर्दों को भी जीना सिखा देंगे !
जो बुझी शमा जिंदगी की तो उसे भी जला देंगे !!
जिस दिन हम युवा एक हो गए !
अपने भारत को बाबा के सपनो का भारत बना देंगे
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उजडो की दुनिया वो बसा कर चले गये ।
कितने दर्द दिये जालिमो ने,वो फिर भी मुस्कुराते चले गये ।
अरे कितने खुदगर्ज है हम लोग,जो भूलाकर भीमको
दिवाली के दिये जलाते चले गये ।।।।जय भीम ।।।।
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याद वो मंजर आता तो होगा, ओर फिर ..
महफिले अँधेरा शर्माता तो होगा,
जो दिन रात हमारे लिए जागता था |
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सौ बार चमन महका.....सौ बार बहार आई .....लेकीन. . .
ग्रुप मे रौनक तब आई,जब "जय भीम" की आवाज आयी....जय भीम
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कोई हस्ती कोई मस्ती कोई चाव पे मरता है..
कोई नफरत कोई मौहब्बत कोई लगाव पे मरता है..
ये गृप है उन दिवानों का यहां हर बन्दा भीमराव पे मरता है.
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गली गली मे * नीला * लहरा देंगे..
दुश्मनो को कदमो मे झुका देंगे..
*महाशक्ती* बनेंगी ऐसी की ,हर शहर मे" * भीम दरबार *
और भारत मे *" भीम राज्य "* बना देंगे !!
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हमे डर नहि किसी के "बाप" का
क्योंकी इस देश का "संविधान" है मेरे "बाप" का
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ना इश्क का शौक है .. ना मोहब्बत करते है ..
भिमराय के प्रेमी है ..बस सब को जय भिम कहते है !! जय भिम
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लड़ने से डरे वो वीर नहीं होता।
दुश्मन के आगे झुके वो सिर नहीं होता।
ये तो चौरासी लाख जन्मों का पुण्य है।
वरना ऐसे ही '' *बौद्ध धर्म* " मेँ मेरा जन्म नहीं होता
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जिस दिन हमारे दिल में" डॉ.बाबा साहेब आंबेडकर"
और दिमाग मे उनकी विचारधारा होगी,
याद रखना उस दिन अदालत भी हमारी होगी
और फैसला भी हमारा होगा...!
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"जिन्दगी" की खुशी
ना " मौत " का गम...
जब तक है....दम...
जय भीम कहेगें हम
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मेरे लीऐ तो गीता, कुरान, बाईबल से भी बडकर है
मेरा भारत का संविधान
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घर घर में बाबासाहेब पहुंचे यही कोशीश है मेरी
हर जयभिमवाला सुट-बुट मे रहें यहीं चाहत हैं मेरी.
भले ही कोई मुझे जयभिम ना कहे
हर अपने को जय भीम कहना आदत है मेरी
हर अपने को जय भीम कहना आदत है मेरी
जयभिम
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