विश्व मूलनिवासी दिवस पर विशेष, क्यों मनाते हैं
अंतराष्ट्रीय स्तर पर आज 9 अगस्त विश्व मूलनिवासी दिवस मनाया जाएगा, मूलनिवासी दिवस को लेकर मूलनिवासी संघ औऱ बामसेफ संगठन भी जोर-शोर से मना रहे हैं, माना जाता है कि विश्व मूलनिवासी दिवस देश के उन लोगों के हितों और अधिकारों की सुरक्षा के लिए मनाया जाता है जो इस देश के असली वासी है यानी की मूलनिवासी है।
वर्ल्ड इंडिजिनस डे (World Indigenous Day) विश्व मूलनिवासी दिवस 9 अगस्त 2018 ><मूलनिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए 1982 में UNO (संयुक्त राष्ट्र संघ) ने एक कार्यदल UNWGIP (United Nations Working Group on Indigenous Populations) के उपआयोग का गठन किया।
जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। इसलिए, प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को "विश्व मूलनिवासी दिवस" UNO द्वारा अपने कार्यालय में एवं अपने सदस्य देशों को मनाने का निर्देश है। मूलनिवासी समाज की समस्याओं के निराकरण हेतु विश्व के देशों का ध्यानाकर्षण करने के लिए सबसे पहले UNO ने 1982 में होने वाले सम्मेलन के 300 पन्नों के एजेंडे में 40 विषय रखे जो 4 भागों में बांटे गए। तीसरे भाग में रियो-डी-जनेरो (ब्राजील) सम्मेलन में विश्व के मूलनिवासियों की स्थिति की समीक्षा की और चर्चा कर प्रस्ताव पारित किया। UNO ने यह महसूस किया कि 21वीं सदी में भी विश्व के विभिन्न देशों में निवासरत मूलनिवासी समाज अपनी उपेक्षा, बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी जैसी समस्याओं से ग्रसित है।
1993 में UNWGIP कार्य दल के 11 वें अधिवेशन में मूलनिवासी घोषणा प्रारूप को मान्यता मिलने पर 1994 को "मूलनिवासी वर्ष" व 9 अगस्त को "मूलनिवासी दिवस" घोषित किया। अतः मूलनिवासियों को हक अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओं का निराकरण, भाषा, संस्कृति, इतिहास के संरक्षण के लिए UNO की महासभा द्वारा 9 अगस्त 1994 को जेनेवा शहर में विश्व के मूलनिवासी प्रतिनिधियों का विशाल एवं विश्व का "प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस" का सम्मेलन आयोजित किया गया। मूलनिवासियों की संस्कृति, भाषा, उनके मूलभूत हक अधिकारों को सभी ने एक मत से स्वीकार किया और उनके सभी हक अधिकार बरकरार रहें इस बात की पुष्टि कर दी गई तथा UNO ने "हम आपके साथ हैं", यह वचन मूलनिवासियों को दिया गया। UNO ने व्यापक चर्चा के बाद 21 दिसंबर 1994 से 20 दिसंबर 2004 तक "प्रथम मूलनिवासी दशक" तथा प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को International Day of the World's Indigenous Peoples (विश्व मूलनिवासी दिवस) मनाने का फैसला लिया और विश्व के सभी देशों को मनाने के निर्देश दिए। विश्व के समस्त देशों में इस दिवस को मनाया जाने लगा
किन्तु अफसोस! भारत की ब्राम्हणवादी सरकारों ने मूलनिवासियों के साथ धोखा करते हुए भारत में इस दिन के बारे में आज तक किसी को नहीं बताया और ना ही आज तक मनाया। जबकि UNO ने पुनः 16 दिसंबर 2004 से 15 दिसंबर 2014 तक फिर "दूसरा मूलनिवासी दशक" घोषित किया। जेनेवा के सम्मेलन में भारत सरकार ने अपने प्रतिनिधि के रूप में डा बाबासाहेब अम्बेडकर के सगे पौत्र मा प्रकाश अम्बेडकर द्वारा UNO को यह अवगत कराया कि "भारत में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा परिभाषित देशज लोग अर्थात मूलनिवासी भारतीय लोग ही ही नहीं है और यहाँ के अनुसूचित जाति, जन जातियों से किसी भी प्रकार का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व शैक्षिक पक्षपात हो रहा हैं।"
इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ में ग्लोबल इकनॉमी के संबंध में मूलनिवासियों को जो प्रतिनिधित्व मिलने वाला था, उसे मनुवादियों ने अपने में से एक एक मूलनिवासी के द्वारा ही समाप्त कर दिया। UNO द्वारा पिछले 22 वर्षों से निरन्तर विश्व मूलनिवासी दिवस मनाया जा रहा है, किन्तु भारत के मूलनिवासी बहूजनो को इसकी कोई जानकारी नहीं है।
भारत में तमाम जातियों और वर्णों में बंटे लोग रहते हैं. कहा जाता है कि इस देश के असली मूलनिवासी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग समेत आदिवासी भी है, जिसे बहुजन समाज भी कहते हैं, लेकिन ब्राह्मणवादी सरकारों ने बहुजन समाज को टुकड़ों में बांटने के लिए साजिश के तहत मूलनिवासी दिवस को आदिवासी दिवस बनाने की कोशिश की, जिससे की इनमें आपस में ही टकराव हो जाए और यह आपस में ही बंट जाए !
विज्ञान के अकाट्य प्रमाण DNA test जिसकी रिपोर्ट Times of India में 21 मई 2001 में छपी, जिसके अनुसार SC/ST/OBC और उससे धर्म परिवर्तित अल्पसंख्यक ही भारत के मूलनिवासी है, और ब्राह्मण, क्षञिय, वैश्य यह विदेशी युरेशियन नस्ल के हैं, मतलब विदेशी हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर मूलनिवासियों की समस्याओं को मजबूती के साथ रखने की पूर्व तैयारी के सन्दर्भ में ही बामसेफ के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष मा वामन मेश्राम जी ने 23 जुलाई 2016 को लंदन (इंग्लैंड), 26 जुलाई 2016 को पेरिस (फ्रांस) व 01 अगस्त 2016 को रोम (इटली) में बामसेफ द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनारों का आयोजन किया।
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